Thursday, January 6, 2011

बिटिया

आज खुदा पे विश्वास करने को जी चाहता है
उसकी दिल से इबादत करने को जी चाहता है
एक ख़ुशी को जी तरसता था अब तक
आज दोहरी ख़ुशी में पगलाने को जी चाहता है!

उन्हें अपनी बाहों में भर लेने को जी चाहता है
उनके मस्तक को चूमते रहने को जी चाहता है
बुखार में उनके तपते बदन को छु लेने से
अपनी आँखों में भर आये आंसुओं को छुपा लेने को जी चाहता है!

उनके चेहरे को आँखों में क़ैद कर लेने को जी चाहता है
उनकी हंसी पर खुद को लुटा देने को जी चाहता है
जब भी उन्हें सीने से लगाया है हमने
उनके छुई मुई होने के एहसास को याद करने को जी चाहता है!

उनका नन्हे हाथो को पकड़ के सारे आकाश में घुमने को जी चाहता है
उनके भोले प्रश्नों को सुन कर दिल खोल के हसने को जी चाहता है
उनके नन्हे कदमो के पीछे सारा दिन भागते रहने को जी चाहता है!

इस आतंक के माहौल में उन्हें भी जीना होगा, ये सोच कर जी घबराता है
बाहर पड़ते उनके कदमो को रोक लेने को जी चाहता है
खुदा भी उनके साथ रहेगा
ये सोच कर दिल को तसल्ली देने को जी चाहता है!

1 comment:

dataexpert said...

I really thank you for the valuable info on this great subject and look forward to more great posts ExcelR Courses In Business Analytics

Visit blogadda.com to discover Indian blogs


IndiBlogger - The Indian Blogger Community


Free Hit Counters
Web Counter
Locations of visitors to this page

Creative Commons License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-Noncommercial-No Derivative Works 3.0 United States License