आज खुदा पे विश्वास करने को जी चाहता है
उसकी दिल से इबादत करने को जी चाहता है
एक ख़ुशी को जी तरसता था अब तक
आज दोहरी ख़ुशी में पगलाने को जी चाहता है!
उन्हें अपनी बाहों में भर लेने को जी चाहता है
उनके मस्तक को चूमते रहने को जी चाहता है
बुखार में उनके तपते बदन को छु लेने से
अपनी आँखों में भर आये आंसुओं को छुपा लेने को जी चाहता है!
उनके चेहरे को आँखों में क़ैद कर लेने को जी चाहता है
उनकी हंसी पर खुद को लुटा देने को जी चाहता है
जब भी उन्हें सीने से लगाया है हमने
उनके छुई मुई होने के एहसास को याद करने को जी चाहता है!
उनका नन्हे हाथो को पकड़ के सारे आकाश में घुमने को जी चाहता है
उनके भोले प्रश्नों को सुन कर दिल खोल के हसने को जी चाहता है
उनके नन्हे कदमो के पीछे सारा दिन भागते रहने को जी चाहता है!
इस आतंक के माहौल में उन्हें भी जीना होगा, ये सोच कर जी घबराता है
बाहर पड़ते उनके कदमो को रोक लेने को जी चाहता है
खुदा भी उनके साथ रहेगा
ये सोच कर दिल को तसल्ली देने को जी चाहता है!
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1 comment:
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