Tuesday, September 15, 2009

Indian Girl Story


बहुत समय बाद एक दम्पति के घर में खुशियाँ आई, एक शिशु के रूप में। उस दम्पति को तो जैसे जीवन जीने का एक सहारा मिल गया। साथ ही अब वो अपने रिश्तेदारों के चुभने वाले प्रश्नों के जवाब भी दे सकते थे। भारत में अगर आप समाज के साथ न चले या आपका जीवन बहुत से उतार-चढाव से गुजरे तो समझ लीजिये की आपके
नाते - रिश्तेदार आपको ये हर पल याद दिलाते रहेंगे की आप एक असामान्य जीवन जी रहे हैं। भले ही आपके लिए वो एक जीवन की सच्चाई हो और आप उस कड़वे सच की आदत डाल ले लेकिन भारतीय समाज अपनी भारतीयता को कैसे त्याग सकता है।
हम फिर से उस दम्पति के परिवार की कहानी शुरु करते हैं - वो शिशु एक बालिका के रूप में विकसित होने लगी। उसके माता-पिता न कभी भी उसकी परवरिश एक बिटिया समझ के नही की । ये बात परिवार के बुजुर्गो को अखरती थी। उस दम्पति न अपनी बिटिया का नाम "आदर्श" रखा। वो तो जैसे समाज से विद्रोह का मन बना चुके थे ।
धीरे धीरे आदर्श एक युवती के रूप में ढलने लगी लेकिन उसके अंदर पुरुषत्व की भी कमी नही थी। वह खेल कूद, शिक्षा, संगीत में तो आगे थी ही समय पड़ने पर वो अपने दोस्तों की मदद करने से भी पीछे नही हटती थी। आदर्श को आत्मसम्मान से जीने की कला अपने परिवार से मिली जहाँ उसके माता-पिता ही उसके शिक्षक थे। उन्होंने उसे आत्मनिर्भर बनने मे पूरा योगदान दिया।
आदर्श भी अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझती थी। वो ये जानती थी की एक आत्मनिर्भर व्यक्ति ही एक आत्मनिर्भर राष्ट्र की बुनियाद रख सकता है। हमारे समाज को आज आदर्श जैसी युवतियों की दरकार है। एक सफल युवती ही एक सफल परिवार और अंत मे एक सफल समाज की बुनियाद रख सकती है।
हमे उनका सम्मान करने के साथ साथ उन्हें आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करने चाहिए क्योंकि आधे समाज का अपमान करके कोई समाज उन्नति नही कर सकता।

PS : Picture is taken from Internet.
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