Tuesday, May 13, 2008
ख़ुद को भूल जाने का मन करता है
आज शुन्य का एहसास हो रहा है ....एक मंजिल पा लेने के बाद फिर दूसरी मंजिल की तरफ़ मन भागता है ...चाहतें कभी पूरी नही होतीं ... हमेशा पहले से बेहतर पाने की चाहत !!!!
इसी दौर मे ज़िंदगी खत्म हो जाती है ....एक औसत ज़िंदगी ....जिसमे सिर्फ़ अपनी ख्वाहिशों को पुरा करूँगा मैं ...
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1 comment:
yaar its true bcoz our desires r beyond our limits.......bt its up to us tht we r putting hw much of our's effort to fulfil our desires.......n all d best so tht u cn fulfil ur desires.......
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