Tuesday, May 13, 2008
नॉएडा
आज इस शहर मे तीन महीने हो चुके हैं और फिर भी लगता है की मैं अभी भी नया हूँ ...
मेरी ज़िंदगी ने एक नया मोड़ लीया यहाँ आकर ... ये छोटा सा शहर मेरे जैसे बेरोजगारों को एक नई रह दिखाता... मेरे बहुत से दोस्तों को इसने सहारा दिया...यहाँ फैली हुयी कंपनियां हम जैसो की रोजी रोटी का सहारा हैं ....अब मजदूर की परिभाषा बदल गई है .....
हम जैसे तकनीकी शिक्षा प्राप्त युवक ख़ुद को मजदूर कहलाना पसंद नही करते लेकिन हममे और एक बोझा उठाने वाले मजदूर मे बहुत फरक नही है ....
वो किसी मालिक के लिए काम करता है और हम अपने क्लाइंट के लिए
वो भी घंटे के हिसाब से पैसे पाता है और हमे भी घंटे के हिसाब से पैसे मिलते हैं
वो भी अपने परिवार का पेट पालता है और हम भी अपने परिवार को पैसे भेजते हैं
फरक केवल ज़िंदगी बिताने मे है ....हम ऊँची इमारतों मे बैठते हैं ....धुप से बहुत दूर हमारे केबिन मे केवल एसी ही हवा फेकता है पेडो से ये अधिकार ले लीया है एसी ने ....ब्रांडेड लेबेल्स तो जरूरत हैं इनके बिना हम प्रोफेशनल नही लगते....
हमारी शुरुवात होती है सुबह अलार्म के बोलने से फिर एक के बाद एक रोज की दिनचर्या ...हम दोहराते हैं जैसे इतिहास ख़ुद को दोहराता है फिर पल्सर पे सवार होके हम अपने ठिकाने के लिए निकल पड़ते हैं ....रास्ते मे खुला आसमान हमारी छत्री बन जाता है जिसके पहलु तले हवाई जहाज अत्खेलियाँ करते हैं ....
शाम तक हम कुछ जाने पहचाने लोगो के बीच रहते हैं .....हमारी अंगुलियाँ कीबोर्ड पे दौड़ती रहती हैं ...निगाहें मोनिटर पे गारी होती हैं और हम एक विर्चुअल जीवन जीते हैं ....शाम होते होते शरीर ढीला होने लगता है और हम ख़ुद को समेटने की कोशिस करते हैं .......
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2 comments:
sir ji..........it is d truth of life.......
that's good one...
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