Wednesday, October 7, 2009

vagabonds


खानाबदोश - इस शब्द का उपयोग उन लोगो के लिए किया जाता है जिनके पास एक स्थायी घर नही होता। ऐसे लोग अपनी आजीविका की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरण करते हैं।

सभ्यताओं के विकास के समय मनुष्य नदियों के किनारे रहा करते थे क्यूंकि पानी से वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा किया करते थे। वह स्थान खेती के लिए भी उपयुक्त था और उनके मवेशियों को चारा भी आसानी से उपलब्ध हो जाता था।

एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ फुटपाथ के किनारे बने झोपडे में रहता है। वह और उसकी पत्नी एक छोटा सा ढाबा सड़क किनारे ही चलाते हैं। उनका छोटा बेटा खाना परोसता है और उनकी बेटी बर्तन धोती है। पूरा परिवार अपने सामूहिक योगदान से जीविका चला रहा है। लेकिन अब सरकार उन्हें विस्थापित करना चाहती है। उस देश में एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन होने जा रहा है और सरकार अपने समाज के उस निचले तबके के दर्शन विदेशियों को नही कराना चाहती। वो किसी छोटे शहर की तरफ़ कूच करने वाले हैं।

एक बहुमंजिल्ला ईमारत बनकर तैयार होने वाली थी। और उस ईमारत के पास कच्ची ईंट और मिट्टी के बने मकान धीरे - धीरे वीरान हो रहे थे। एक तरफ़ तो आशियाना आकार ले रहा था और दूसरी तरफ़ किसी का उजड़ रहा था। क्यूंकि अब उन मजदूरों की जरूरत कम होती जा रही थी और उन्हें अपना पेट पालने के लिए किसी दूसरे स्थान या शहर का दामन थामना था।

एक इंजिनियर ने अपने देश के सर्वोत्तम संस्थान से पढ़ाई पूरी की और फिर वो विदेश चला गया। उसे बहुत अच्छा पद और उमदे वेतन की पेशकश की गई थी।

एक प्रबंधन प्रशिक्षु को एक अंतर्राष्ट्रीय बैंक का प्रस्ताव मिला और वह भी अपनी माटी के लिए अप्रवासी हो गया।

एक प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। उन्हें एक विदेशी संस्थान में ऊँचे पद की पेशकश की गई जहाँ वो अपने प्रशासनिक अनुभव का उपयोग करके उसकी विभिन शाखाओ के प्रबंधन की खामियां दूर कर सके।

PS : Picture is taken from internet.

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